Fatty Liver Disease-क्यों फैट्टी लिवर डिजीज तेजी से बढ रहा है ?

फैटी लिवर डिजीज

Fatty Liver Disease-क्यों फैट्टी लिवर डिजीज तेजी से बढ रहा है ?भारत मे इसकी अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिल रही है जिसका कारण मुख्य रूप से ,तली भुनी चीजे और ट्रांस फैट मे बनाया गया खाद्य पदार्थ है । इसी के कारण मोटापा और मेटाबोलिक सिंड्रोम में भी वृद्धि हो रही है जिसका कारण मुख्य रूप से ,तली भुनी चीजे और ट्रांस फैट मे बनाया गया खाद्य पदार्थ है । इसी के कारण मोटापा और मेटाबोलिक सिंड्रोम में भी वृद्धि हो रही हैटी लीवर रोग, जिसे हिपेटिक स्टीयटोसिस भी कहा जाता है। इसमें लिवर कोशिकाओं में वसा का जमाव होने लगता है। यह पूरी दुनिया भर में तेजी से फैल रहा है, लेकिन भारत मे इसकी अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिल रही है जिसका कारण मुख्य रूप से ,तली भुनी चीजे और ट्रांस फैट मे बनाया गया खाद्य पदार्थ है । इसी के कारण मोटापा और मेटाबोलिक सिंड्रोम में भी वृद्धि हो रही है। इसके प्रभावी प्रबंधन और रोकथाम के लिए फैटी लीवर रोग के कारणों, लक्षणों और उपचार विकल्पों को समझना महत्वपूर्ण है।

  • टेबल आफ कंटेंट
  • 1 –फैटी लिवर की बीमारी के कारण:
  • 2-फैटी लिवर डिजीज के प्रकार
  • ३-फैटी लिवर के ग्रेड
  • 4-लक्षण
  • 5-इलाज
  • 6-अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
  • 7-अंत मे

१ 1-फैटी लिवर की बीमारी के कारण:

  1. मोटापा: शरीर का अतिरिक्त वजन, विशेषकर पेट का मोटापा, फैटी लीवर रोग के लिए एक महत्वपूर्ण जोखिम कारक है।
  2. इंसुलिन प्रतिरोध इंसुलिन प्रतिरोध, जो अक्सर मोटापे और टाइप 2 मधुमेह से जुड़ा होता है, यकृत में वसा संचय में योगदान देता है।
  3. उच्च रक्त शर्करा स्तर– ऊंचे रक्त शर्करा स्तर से लीवर में वसा का भंडारण बढ़ सकता है।
  4. उच्च ट्राइग्लिसराइड्स– रक्त में ट्राइग्लिसराइड्स का ऊंचा स्तर भी फैटी लीवर रोग में योगदान कर सकता है।
  5. असंतुलित खान पान/ आहार: परिष्कृत कार्बोहाइड्रेट, शर्करा और संतृप्त वसा से भरपूर आहार का सेवन करने से फैटी लीवर रोग का खतरा बढ़ सकता है।
  6. आरामतलब जीवन शैली: शारीरिक गतिविधि की कमी मोटापे और इंसुलिन प्रतिरोध से जुड़ी है, ये दोनों फैटी लिवर रोग के लिए जोखिम कारक हैं।
  7. आनुवंशिकी: आनुवंशिक कारक कुछ व्यक्तियों में फैटी लीवर रोग विकसित होने की संभावना पैदा कर सकते हैं।

2-फैटी लिवर डिजीज के प्रकार 1- एल्कोहलिक फैटी लिव – इसका मुख्य कारण अधिक शराब का सेवन होता है ,जिसके कारण लिवर ग्रेड १ से शुरू होकर ग्रेड २-३ फिर सिरोसिस और अंत में लिवर फेल यानि पूरी तरह से ख़राब हो जाता है 2नॉन एल्कोहलिक फैटी लिवर नॉन एल्कोहॉलिक फैटी लिवर मुख्यतः खान पान की खराबी व अधिक मोटापे के कारण होता है । इस स्थिति में लिवर में फैट जमा होने लगता है, जिसका इलाज समय पर न करवाने के कारण आपका लिवर पूर्ण रूप से डैमेज हो सकता है, जिसे लिवर सिरॉसिस भी कहते हैं।

३-फैटी लिवर के ग्रेड – यह तीन प्रकार का होता है . इसे अल्ट्रासाउंड या C T स्कैन से पता किया जाता है । ग्रेड १ – यह पहली अवस्था है . इसमे फैट जमा होने के कारण लिवर थोडा सफेद हो जाता है । अक्सर इसमे कुछ पाचन की समस्या के अलावा कोई खास लक्षण नही होते है। ग्रेड २ – इसमे लिवर में अधिक फैट जमा हो जाता है और सारे लक्षण प्रगट होने लगते है , लिवर भी बढ़ने लगता है। ग्रेड ३– तीसरी अवस्था की लिवर-सिरोसिस कहते है . इसमे लिवर डैमेज होने लगता है और गांठे पड़ने लगती है. यह अवस्था फिर से नार्मल नही हो सकती है . इसमे पोर्टल हाइपरटेंसन हो जाता है। .इसमे पेट में पानी भरना और पोर्टल शिराओं के खूमन में रुकावट आने से कई और समस्याए आने लगती है.। ग्रेड ४ चौथी और अंतिम अवस्था ,इसे लिवर फेल्यौर कहते ,इसमे लिवर पूरी तरह से खराब हो जाता है और अगर लिवर ट्रांसप्लांट नहीं हुआ मरीज की जान नहीं बचाई जा सकती ।

4-लक्षण

  1. थकान: फैटी लीवर रोग से पीड़ित कई व्यक्ति थकान और कम ऊर्जा की सामान्य भावना का अनुभव करते हैं।
  2. पेट में दर्द व पाचन की समस्या– कुछ लोगों को पेट के ऊपरी दाहिने हिस्से में, जहां लिवर स्थित होता है, असुविधा या दर्द का अनुभव हो सकता है।
  3. लिवर का बढ़ना: कुछ मामलों में, लिवर बड़ा हो सकता है, जिससे पेट में सूजन या कोमलता हो सकती है।
  4. रक्त मे SGPT और SOPT का उच्च स्तर : रक्त परीक्षण से लिवर एंजाइम के ऊंचे स्तर का पता चल सकता है, जो लिवर की सूजन या क्षति का संकेत देता है।
  5. पीलिया: उन्नत मामलों में, पीलिया हो सकता है, जिससे त्वचा और आंखें पीली हो जाती हैं।

5-इलाज

  1. जीवनशैली में बदलाव: फैटी लीवर रोग के प्रबंधन के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना महत्वपूर्ण है। इसमें कम चीनी और संतृप्त वसा वाला संतुलित आहार बनाए रखना, नियमित व्यायाम करना और स्वस्थ वजन हासिल करना शामिल है।
  2. वजन घटाना: अतिरिक्त वजन कम करने से लीवर में वसा के संचय को कम करने और लीवर की कार्यप्रणाली में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
  3. दवाएं: कुछ मामलों में, मधुमेह, उच्च कोलेस्ट्रॉल, या इंसुलिन प्रतिरोध जैसी अंतर्निहित स्थितियों को प्रबंधित करने में मदद के लिए दवाएं निर्धारित की जा सकती हैं।
  4. शराब से परहेज: अल्कोहलिक फैटी लीवर रोग वाले व्यक्तियों के लिए, लीवर को और अधिक नुकसान होने से बचाने के लिए शराब से परहेज करना आवश्यक है।
  5. निगरानी: रोग की प्रगति और उपचार की प्रभावशीलता का आकलन करने के लिए रक्त परीक्षण और इमेजिंग के माध्यम से यकृत समारोह की नियमित निगरानी आवश्यक है।
swasth jeevan shaili

6-अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न १-फैटी लिवर में क्या परेशानी होती है ? आम तौर पर शुरू की अवस्था ग्रेड १ में कोई विशेष परेशानी नही होती है ग्रेड २ में लिवर बढने लगता है जिस के कारण पेट के दाहिनी ओर भारीपन और दर्द का अनुभव होने लगता है। इसके अलावा ,मिचली और भूख कम लगना होता है। तीसरी ग्रेड ३ की अवस्था में लिवर में सिरोसिस यानि गांठे,विकसित हो जाती है,और लिवर फेल होने लगता है .इस अवस्था में आँखों में पीलापन (पीलिया) तथा पेट में पानी भरना शुरू हो जाता है .इसके बाद ,मानसिक भ्रम और अंत में कोमा /बेहोशी की अवस्था आती है,इसके बाद मृत्यू लगभग निश्चित होती है . 2-क्या फैटी लिवर की बिमारी को पूरी तरह ठीक किया जा सकता है ? ,फैटी लिवर रोग के प्रबंधन के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनाना महत्वपूर्ण है। इसमें कम चीनी और संतृप्त वसा वाला संतुलित आहार बनाए रखना, नियमित व्यायाम करना और स्वस्थ वजन हासिल करना शामिल है. लेकिन इससे केवल ग्रेड १ और ग्रेड २ को ही ठीक किया जा सकता है .ग्रेड ३ ,जिसमे फाईब्रोसी और गांठ पड जाती है ,तब इस अवस्था में इस बीमारी को पूरी तरह से ठीक नही किया जा सकता है .केवल कुछ वर्ष की आयु ही बढाई जा सकती है .

7-अंत मे -, फैटी लीवर रोग एक सामान्य स्थिति है जिसका इलाज न किए जाने पर गंभीर जटिलताएँ हो सकती हैं। कारणों, लक्षणों और उपचार विकल्पों को समझकर, व्यक्ति अपनी स्थिति को प्रबंधित करने और जटिलताओं के जोखिम को कम करने के लिए सक्रिय कदम उठा सकते हैं। संतुलित आहार और नियमित व्यायाम सहित स्वस्थ जीवन शैली अपनाना, फैटी लीवर रोग को रोकने और प्रबंधित करने के लिए महत्वपूर्ण है। सतीश त्रिपाठी sctri48

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Author: sctri48
मैं डाक्टर हूं ,रेडियोलॉजिस्ट। Mera hindi me blog में मेरी रुचि ब्लाग व रिव्यू लिखने में है। मैं मुख्य रूप से यात्रा ,स्वास्थ्य,जीवन ,शैली मोटिवेशन और विविध विषयों पर लिखता हू। मैं ट्रिपएडवाइजर, गूगल मैप कोरा फोरम पर भी लिखता रहता हू। इसके अलावा गाने में भी मेरी रुचि है। इसके अलावा मैं अंग्रेजी में भी लिखता हूं । My websites are www.travelprolife.com and www.blogsatish.com।

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