Carcinogenic chemicals are present in our kitchen and day-to-day lives.

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Carcinogenic chemicals are present in our kitchen and day-to-day lives.गस लेख में हम उन कैंसर कारक तत्वों पर नज़र डालते हैं जो हमारे जीवन में खादय पदार्थो ,में मौजूद है जिनका हम अपने खानपान में नित दिन प्रयोग में ला रहे है।

  • TABLE of CONTENTS
  • 1-भूमिका
  • 2- 527 भारतीय फूड प्रोडक्ट मे कैंसर कारक केमिकल पाए गए
  • 3-रसोई में इस्तेमाल होने वाले कैसरकारक तत्व
  • 4-खाद्य पदार्थों मे मिले कैसरकारक रसायन
  • 5-प्रोसेस्ड मीट अधिक गर्मी से पका हुआ भोजन और तले हुए खाद्य पदार्थ
  • 6: रसोई घर में इस्तेमाल के कारण उत्पन्न कैंसरकारी रसायन:
  • 7:. फलों और सब्जियों में प्रयोग किए जाने वाले कैंसरकारी रसायन
  • 8: इन रसायनों के कारण होने वाले कैंसर और रोग:
  • 9-इन कैसरकारक रसायनों से बचाव कैसे करें
  • 10-अंतिम बात

1-भूमिका

Carcinogenic chemicals are present in our kitchen and day-to-day lives.-वैसे तो भारतीय भोजन में कैंसर पैदा करने वाले पदार्थों की कोई निश्चित सूची नहीं है, लेकिन कुछ सामग्री और खाना पकाने के तरीकों को कैंसर के बढ़ते जोखिम से जोड़ा गया है। जैसे  उच्च तापमान पर तलने, ग्रिल करने और भूनने से हेट्रोसाइक्लिक अमीन (HCAs) और पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs) नामक हानिकारक यौगिक उत्पन्न हो सकते है ,इसके अलावा ,फलों, सब्जियों और प्लास्टिक के डिबाबन्द पदार्थों मे भी preservative के तौर पर कुछ कैंसरकारक केमिकल पाए गए है ।

2- 527 भारतीय फूड प्रोडक्ट मे कैंसर कारक केमिकल पाए गए यूरोपीय यूनियन के अंदर खाद्य सुरक्षा प्राधिकरणों ने भारत से जुड़े 527 खादय पदार्थो और मसालो में कैसर करक केमिकल पाए गए है . उत्पादों में अखरोट और तिल के बीज (313), औषिध और मसाले (60), खाद्य पदार्थ (48) और अन्य खाने वाले उत्पाद (34) शामिल हैं। इन उत्पादों में से 87 खेप को बॉर्डर से ही वापस भेज दिया गया जबकि अधिकांश को बाद में बाजार से हटा दिया गया।

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एथिलीन ऑक्साइड एक रंगीन गैस होती है, जिसका इस्तेमाल पेस्टीसाइड के तौर पर किया जाता है। हालांकि, इस केमिकल को मूलरूप से मेडिकल उपकरणों को स्टर्लाइज करने के लिए बनाया गया था। बताया जाता है कि एथिलीन ऑक्साइड के संपर्क में आने से लिंफोमा और ल्यूकेमिया समेत दूसरे कैंसर होने का खतरा हो सकता है।

3-रसोई में इस्तेमाल होने वाले कैसरकारक तत्व :

  • अत्यधिक तेल और मसाले: तले हुए भोजन और तीखे मसाले, खासकर जब ज़्यादा मात्रा में खाए जाते हैं, तो कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं।
  • पुनः गरम किया हुआ भोजन: बार-बार गरम किए गए भोजन में कुछ हानिकारक रसायन बन सकते हैं जो कैंसर का कारण बन सकते हैं।
  • प्लास्टिक के बर्तन: प्लास्टिक के बर्तनों, खासकर जब गर्म भोजन में इस्तेमाल किए जाते हैं, तो हानिकारक रसायन निकल सकते हैं जो कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं।
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3-कई बार गरम किए गए काले होते हुए तेल या घी मे तले खाद्य पदारथ मे कैसरकारक केमिकल

जब किसी तेल को कई बार गरम किया जाता है और वो काला होने लगता है तो उसमे कैन्सरकारक तत्व उत्पन्न हो जाते है जो उसमे तले हए सभी खाद्य पदार्थों जैसे समोसे, कचोंडी और बार बार तली जिलेबी मे चिपक सकते है जिन्हे हम बड़े चाव से उसके खतरों से अनजान होकर खाते है । जैसे नीचे दिए गए चित्रों में।

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4-खाद्य पदार्थों मे मिले कैसरकारक रसायन

  • प्रिजर्वेटिव: कुछ खाद्य पदार्थों में लंबे समय तक सडने से बचाने और सुरक्षित रहने के लिए प्रिजर्वेटिव मिलाए जाते हैं। इनमें से कुछ प्रिजर्वेटिव कैंसरकारी होते हैं।
  • कृत्रिम रंग और स्वाद: खाद्य पदार्थों में आकर्षक रंग और स्वाद लाने के लिए कृत्रिम रंग और स्वाद का इस्तेमाल किया जाता है। इनमें से कुछ कैंसरकारी हो सकते हैं।
  • मोनोसोडियम ग्लूटामेट (एमएसजी): एमएसजी का इस्तेमाल खाद्य पदार्थों में स्वाद बढ़ाने के लिए किया जाता है। कुछ अध्ययनों में इनसे भी कैसर होने की संभावना बढ़ती है ।

5-प्रोसेस्ड मीट अधिक गर्मी से पका हुआ भोजन और तले हुए खाद्य पदार्थ  आपके लिए कुछ प्रकार के कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। क्योंकि इन खाद्य पदार्थों में कार्सिनोजन पैदा हो सकते हैं जो कैंसर का कारण बनते हैं। जब आपके शरीर में इनका मेटबॉलिस्म होता है तो यह कार्सिनोजन पैदा करते है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, इस बात के निश्चित प्रमाण हैं कि प्रोसेस्ड मीट कैंसर का बन सकता है। इसके अधिक सेवन से आपको कोलोरेक्टल और पेट के कैंसर का खतरा हो सकता है। प्रोसेस्ड फूड्स में – फ्रैंकफर्टर हॉटडॉग, हैम, सॉसेज, कॉर्नड बीफ़, बीफ़ जर्की और कैंड और लंच मीट आदि आते है ।

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6: रसोई घर में इस्तेमाल के कारण उत्पन्न कैंसरकारी रसायन:

  • एक्रोलाइन: यह रसायन तेल गरम करने से निकलता है। यह फेफड़ों के कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है।
  • हेटरोसाइक्लिक एमाइन्स (HCA): ये रसायन मांस को उच्च तापमान पर पकाने से बनते हैं। ये पेट, आंत, स्तन और बृहदान्त्र के कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं।
  • पॉलीसाइक्लिक एरोमैटिक हाइड्रोकार्बन (PAHs): ये रसायन जलने या धुएं से निकलते हैं। ये फेफड़ों, त्वचा और पेट के कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं।
  • बेंजिन: यह रसायन प्लास्टिक के बर्तनों को गर्म करने से निकल सकता है। यह रक्त कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है।

7:. फलों और सब्जियों में प्रयोग किए जाने वाले कैंसरकारी रसायन:

  • नाइट्रेट और नाइट्राइट: ये रसायन कुछ उर्वरकों और खाद्य पदार्थों में पाए जाते हैं। ये पेट के कैंसर का खतरा बढ़ा सकते हैं।
  • पेस्टीसाइड: ये रसायन कीटों और बीमारियों से फसलों को बचाने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। कुछ पेस्टीसाइड कैंसरकारी होते हैं।
  • फंगिसाइड: इनका उपयोग फसलों को फंगस से बचाने के लिए किया जाता है। कुछ फंगिसाइड कैंसरकारी होते हैं।

8: इन रसायनों के कारण होने वाले कैंसर और रोग:

  • फेफड़ों का कैंसर
  • पेट का कैंसर
  • आंत का कैंसर
  • स्तन का कैंसर
  • बृहदान्त्र का कैंसर
  • रक्त कैंसर
  • त्वचा का कैंसर
  • मस्तिष्क का कैंसर
  • किडनी का कैंसर

9-इन कैसरकारक रसायनों से बचाव कैसे करें:

  • स्वस्थ भोजन खाएं: ताजे फल, सब्जियां, और साबुत अनाज खाएं।
  • तले हुए भोजन और प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थों का सेवन कम करें।
  • खाना बनाते समय धुएं और जले हुए भोजन से बचें।
  • प्लास्टिक के बर्तनों के बजाय कांच, स्टील या मिट्टी के बर्तनों का इस्तेमाल करें।
  • फलों और सब्जियों को अच्छी तरह धोएं।
  • जैविक खाद्य पदार्थों का सेवन करें।
  • Swaasthya ka bahuaayami dristikonस्वास्थ्य का बहुआयामी दृष्टिकोण।नियमित रूप से व्यायाम करें और स्वस्थ वजन बनाए रखें।
  • धूम्रपान और शराब से दूर रहें। 10- अंतिम बात हमारे किचेन मे तथा भोजन बनाने और उसे गरम करने के गलत तरीकों से उसमे कैंसर कारक केमिकल पैदा हो जाते है। इसके अलावा फलों और सब्जियों मे भी ,पकाने और उसे सुरक्षित रखने के लिए कई तरह के केमिकल्स का प्रयोग किया जाता है। इस लेख का उद्देश्य आप तक यह जानकारी देना था और इसके प्रति आपको सतर्क करना था ,जिससे आप इनका प्रयोग कम से कम करे और उचित तरीके अपनाकर स्वास्थ्य, व निरोग जीवन जी सकें। आप स्वास्थ्य रहें , प्रसन्न रहें यही मेरी कामना है । Note -इस लेख मे Google के Gemini ai की भी सहायता ली गई है ,तथा कुछ फ़ोटो भी साभार लिए गए हैं। Satish Tripathi Sctri48
Author: sctri48
मैं डाक्टर हूं ,रेडियोलॉजिस्ट। Mera hindi me blog में मेरी रुचि ब्लाग व रिव्यू लिखने में है। मैं मुख्य रूप से यात्रा ,स्वास्थ्य,जीवन ,शैली मोटिवेशन और विविध विषयों पर लिखता हू। मैं ट्रिपएडवाइजर, गूगल मैप कोरा फोरम पर भी लिखता रहता हू। इसके अलावा गाने में भी मेरी रुचि है। इसके अलावा मैं अंग्रेजी में भी लिखता हूं । My websites are www.travelprolife.com and www.blogsatish.com।

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