खुशियों की खोज/In Search of happiness

happiness खुशी

खुशी आखिर है क्या ? ये कहां मिलती है?

परिचय

खुशियों की खोज/In Search of happiness-खुशी सभी मनुष्यों का सर्वोच्च लक्ष्य है । इस लेख में मैं खुशी की प्रकृति का पता लगाने जा रहा हूं। क्या यह शुद्ध मानवीय भावना है ,या रासायनिक घटना है या आध्यात्मिक क्षेत्र से उत्पन्न होती है ? आखिर खुशी का समीकरण क्या है । चलिए आज आप और हम मिल कर खुशियों की खोज करते है ।आखिर ये किस चिड़िया का नाम है ? उसका पता क्या है ,? कोई बता दो मुझे यारों ? आपका बड़ा अहसान होगा। तो चलिए फिर निकल पड़ते है उसे खोजने।सबसे पहले देखते है कि विश्व खुशी दिवस क्या कहता है।

  • विषय सूची
  • 1-विश्व की खुशी रिपोर्ट
  • 2-ख़ुशी नापने का पैमाना
  • 3-आखिर भारत इतने दुखी देश की श्रेणी में क्यों है ?
  • 4-खुशी का समीकरण श्री अय्यर के पर ख़ुशी का फार्मूले के आधार पर
  • 5-लेकिन, क्या यह सच है? क्या भारत में खुशी कम हो रही है?
  • 6-जौन मजा बनारस में ऊ न पेरिस में न फारस मेंजब राय साहब इंग्लॅण्ड गए थे.
  • 8-खुसी की खोज जारी है

1-विश्व की खुशी रिपोर्ट

पिछले १२ वर्षों से विश्व खुसी दिवस २० मार्च को मनाया जाता है। इस अवसर पर विश्व के सबसे खुश देशों की एक सूची जारी की जाती है।जिसमे क्रमानुसार नंबर १ से लेकर अंत में सबसे दुखी देशों का नंबर आता है। इस सूची में पिछले सात वर्षों से पहले पायदान पर फिनलैंड ही है। इस बार की २०२४ की रिपोर्ट में भी । इसके बाद 2-3-4 नंबर पर भी नार्डिक देश डेनमार्क ,आइलैंड और स्वीडन आते है। इस १४३ देशों में हुए सर्वे की लिस्ट में भारत लगभग अंतिम पायदान परआता है। इन १४३ देशों में भारत का नंबर १२६ वां है। बंगला देश ,पकिस्तान ,म्यांमार भी भारत से आगे है ,इंगलैंड 20वे ,अमेरिका २३ व जर्मनी २४ वे पर और अंत में सबसे दुखी देश अफगानिस्तान १४३ नंबर पर है।

2-ख़ुशी नापने का पैमाना

1- प्रत्ति व्यक्ति आय जी डी पी 2 – सामाजिक सुरक्षा ३-स्वाथ्य की सुरक्षा 4 – स्वतंत्रता 5 – समाक उदारता 6 भ्रस्टाचार में कमी । इन्ही मानकों के आधार पर खशी देशो की सूची बनायी जाती है ।

3-आखिर भारत इतने दुखी देश की श्रेणी में क्यों है ?

4-खुशी का समीकरण श्री अय्यर के अनुसार खुशी हमारी आवश्यकताओं पर निर्भर है। इसका फार्मूला निम्न है । । खुशी = दुनिया मे मौजूद रेसॉरसेस / हमारी आवश्यकताए Happiness =Recourses /Needs जैसे अगर रेसॉरसेस 100 है ,और हमारी जरूरत 5 है तो खुशी 100 /5= 20 होगी । अगर हमारी need 50 है तो हमारी खुशी 100/50 =2 दो होगी

5-लेकिन, क्या यह सच है? क्या भारत में खुशी कम हो रही है? वास्तव में ख़ुशी की परिभाषा हर व्यक्ति के लिए अलग अलग होती है .यह जीवन के हर स्तर पर भी बदलती रह्ती है. जैसे बच्चों में, टीनेजर में ,वयस्कों ,में और सिनिअर सिटीजन की आकान्छाये अलग प्रकार की होती है । सबसे मस्ती भरा समय बचपन ही होता है । .नीचे देखिए ;बनारस के राय साहब का खुशी के बारे मे क्या कहना है और वो कहाँ मिलती है ?

6-जौन मजा बनारस में ऊ न पेरिस में न फारस मेंजब राय साहब इंग्लॅण्ड गए थे -एक बार बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के एक प्रोफेसर राय साहब एक साल के फेलोशिप पर इंग्लॅण्ड गए थे । राय साहब ठहरे ठेठ बनारसी ।आम बनारसी की तरह पान चबाना और बतियाना उनका शगल था । जाते समय विश्वविद्यालय के काफी लोग उनको विदा करने गए थे . खैर राय साहब पहुंचे इंग्लैण्ड तो पान की तलाश में इधर उधर भटके । सोच रहे थे की बनारस की तरह कही अगल बगल ही कोई पान की दूकान होगी। पर .पता चला वहा से लगभग सौ किलोमीटर दूर पर एक पान की दूकान है । खैर वे वहा पंहुचे और अपने लिए पान का स्टाक खरीदा और लौट आये। दूसरी बात उनसे कोई बतियाने को तैयार नही। एक सप्ताह में इतने निराश हुए की अगला टिकट उन्होंने इंडिया का खरीदा और विश्व्विद्यालय में ख़ुशी से पान चबाते और बतियाते घूम रहे थे । लोगो ने आश्चर्य से पूंछा ;अरे राय साहब आप तो इंग्लैण्ड गए थे ,यहाँ कैसे ? बोले : “जाये दा सरवा ऊ कौनो देश हौ ,जहा पान न मिले और कोई बतियाये न” । एक महिना में त उहाँ से हमार लाश आवत । वह से फिर बोले ,”जौन मजा बनारस में ऊ न पेरिस में न फारस में“।

8-खुसी की खोज जारी है ———- अगले किस्त मे जाने । मित्रों अभी खुशी की खोज जारी है । आशा करता हूं आप इस यात्रा मे मेरे साथ बने रहेंगे । इसे सबस्क्राइब कर ले । सतीश त्रिपाठी sctri48

Author: sctri48
मैं डाक्टर हूं ,रेडियोलॉजिस्ट। Mera hindi me blog में मेरी रुचि ब्लाग व रिव्यू लिखने में है। मैं मुख्य रूप से यात्रा ,स्वास्थ्य,जीवन ,शैली मोटिवेशन और विविध विषयों पर लिखता हू। मैं ट्रिपएडवाइजर, गूगल मैप कोरा फोरम पर भी लिखता रहता हू। इसके अलावा गाने में भी मेरी रुचि है। इसके अलावा मैं अंग्रेजी में भी लिखता हूं । My websites are www.travelprolife.com and www.blogsatish.com।

2 thoughts on “खुशियों की खोज/In Search of happiness

  1. मैं अमेरिका, यूरोप , अरब, और टर्की जैसे कई देशों में गया हूं। रहन-सहन व सुविधाओं की दृष्टि से बेहतर होने के बावजूद मेरे विचार से भारत के लोगों के खुशी का स्तर इन देशों के नागरिकों के स्तर से इतना नीचे
    नहीं है। प्रायःये आंकड़े व तालिकाएं पश्चिमी देशों द्वारा प्रायोजित उद्देश्यों
    के तहत बनाई व प्रसारित की जाती हैं। उदाहरण के लिए अमेरिका व भारत की परचेजिंग पावर पैरिटी लगभग 10है जबकि विनिमय दर 80है।
    इनके पैमाने से तो खुशी केवल इसी पैरामीटर से 1/8 रह गई।

    1. आपके अमूल्य समय के लिए धन्यवाद । आपका अनुभव और सुझाव इस” खुशी की खोज ” मे हमारे लिए मार्गदर्शक की भूमिका मे होगा ।अभी ये खोज जारी है ,अगले किस्त तक। आशा है आप अपने अनुभव से हमे लाभान्वित करते रहेंगे। ये, मुझे इस लेखन की यात्रा मे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते रहेंगे। सतीश

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