प्रयागराज मे 144 वर्ष बाद हो रहा महाकुंभ– सनातन धर्म का प्रतीक, ,आस्था और विश्वास का अनंत स्रोत।गंगा की धारा में, डुबकी लगाकर,मन को शांत करते, पापों से मुक्ति पाकर।महाकुंभ में मिलता है सनातन का दर्शन,जीवन का सार,और अपने अस्तित्व को समझने का अवसर।
- टेबल ऑफ़ कंटेन्ट
- 1-144 वर्ष बाद हो रहा है यह महाकुंभ -जलधारा और जनधारा का अदभुत समागम।
- 2-महाकुंभ पर
- 3-महाकुंभ एक विशाल धार्मिक आयोजन है जिसमें विभिन्न प्रकार की रीति-रिवाज निभाए जाते हैं।
- 4–प्रयागराज में महा कुम्भ के स्नान पर्व कब कब
- 5-साधु संतों और नागा साधुओं अद्भुत का जीवन संसार
- 6-त्रिवेणी संगम गंगा ,जमुना ,सरस्वती का मिलन स्थल
- 7 -कुम्भ और महाकुंभ कब होते है और उनका महत्व
- 8–निष्कर्ष– वसुधैव कुटुंबकम –Whole world is one family and Prayagraj is its Spiritual capital now.
1-144 वर्ष बाद हो रहा है यह महाकुंभ -जलधारा और जनधारा का अदभुत समागम।
इस बार का महाकुंभ प्रयागराज मे हो रहा है ,यह 12-वा कुम्भ है जो 12 वी बार, यानि 144 वर्ष बाद हो रहा है इसलिए इसका विशेष महत्व है । यह इस पृथ्वी पर मनुष्यों का अद्भुत भव्य और अब तक का सबसे बड़ा समागम है । इसमे इस बार लगभग 45 करोड़ लोग गंगा और संगम मे डुबकी लगाएंगे .

2-महाकुंभ पर
- त्रिवेणी संगम तट पर, साधुओं का सागर,
- महाकुंभ का पर्व, अद्भुत और अविस्मरणीय नज़ारा।
- धर्म, संस्कृति और परंपरा का संगम,
- महाकुंभ में मिलता, आस्था का सागर।
- काल का चक्र घूमता रहता, महाकुंभ सदा चलता रहता।
- भारत की आत्मा, महाकुंभ में बसती है।
3-महाकुंभ एक विशाल धार्मिक आयोजन है जिसमें विभिन्न प्रकार की रीति-रिवाज निभाए जाते हैं।
- शाही स्नान: महाकुंभ में सबसे महत्वपूर्ण घटना शाही स्नान है। विभिन्न अखाड़ों के साधु-संत एक निश्चित समय पर गंगा में डुबकी लगाते हैं। इस बार १३ अखाड़े एक के बाद एक अमृत-स्नान कर रहे है। सबको ४० मिनट का समय दिया गया है।इस तरह उनका शाही स्नान साढ़े नौ घंटे में पूरा होता है।
- नीचे सबसे पुराने और सबसे बड़े पंचदशनामी जूना अखाड़े के सन्यासी और नागा साधु स्नान के लिए जाते हुए।

- धार्मिक अनुष्ठान: महाकुंभ में विभिन्न प्रकार के धार्मिक अनुष्ठान किए जाते हैं जैसे यज्ञ, हवन, भजन-कीर्तन आदि।
- मेला: महाकुंभ एक विशाल मेला भी होता है जहाँ देश-विदेश से लोग आते हैं। यहाँ विभिन्न प्रकार के स्टॉल लगे होते हैं जहाँ धार्मिक सामान, खाने-पीने की चीजें आदि मिलती हैं।
- कथा वाचन: महाकुंभ में प्रसिद्ध कथावाचक धार्मिक कथाएँ सुनाते हैं।
- संगीत और नृत्य: महाकुंभ में विभिन्न प्रकार के संगीत और नृत्य कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
4–प्रयागराज में महा कुम्भ के स्नान पर्व कब कब


5-साधु संतों और नागा साधुओं अद्भुत का जीवन संसार
साधु संतों का जीवन त्याग, तपस्या और सनातन धर्म और समाज सेवा के लिए समर्पित होता है। वे वैराग्य और मोक्ष की प्राप्ति के लिए संसार का त्याग कर देते हैं। साधु संतों का जीवन बहुत ही कठिन होता है। वे जंगलों में रहते हैं, भोजन के लिए भीख मांगते हैं और कठोर तपस्या करते हैं। महाकुंभ में साधु संतों का विशेष महत्व होता है। वे विभिन्न अखाड़ों से आते हैं और अपने-अपने वेशभूषा और रीति-रिवाजों के लिए जाने जाते हैं।

6-त्रिवेणी संगम गंगा ,जमुना ,सरस्वती का मिलन स्थल


गंगा नदी त्रिवेणी संगम की प्रमुख नदी है। यह भारत की पवित्र नदियों में से शीर्ष पर है। हिंदू धर्म में गंगा को माँ के समान माना जाता है। गंगा नदी को पापों का नाश करने वाली और मोक्ष देने वाली माना जाता है। महाकुंभ में गंगा नदी में स्नान करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा नदी के किनारे कई तीर्थस्थल स्थित हैं जहाँ लोग पूजा-अर्चना करते हैं।
7 -कुम्भ और महाकुंभ कब होते है और उनका महत्व
अर्ध कुम्भ ६ वर्ष में प्रयागराज व हरिद्वार में होता है। कुम्भ १२ वर्ष में चार स्थानों प्रयागराज, हरिद्वार ,नासिक और उज्जैन में होता है।फिर पूर्ण कुम्भ १२ वर्षों में प्रयागराज और हरिद्वार में। महाकुंभ १२ महाकुंभ के अंतराल पर १४४ वर्ष में होता है। यह सबसे बड़ा और ,सर्वफलदाई है, जो कि इस बार प्रयागराज में हो रहा है।
महाकुंभ का महत्व केवल धार्मिक ही नहीं, बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक भी है। यह एक ऐसा आयोजन है जहाँ विभिन्न जाति, धर्म और वर्ग के लोग एक साथ आते हैं। महाकुंभ में लोगों को एकता और भाईचारे का संदेश दिया जाता है। महाकुंभ भारत की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
8–निष्कर्ष– वसुधैव कुटुंबकम –Whole world is one family and Prayagraj is its Spiritual capital now.
प्रयागराज का यह महाकुंभ एक अद्भुत संयोग व आयोजन है, जो 144 वर्ष बाद हो रहा है । यह अविस्मरणीय ,अकल्पनीय और अवर्णीय है, जिसकी स्मृति है जो वर्षों तक यहा आए लोगों के मस्तिष्क मे बनी रहेगी । यह भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को दर्शाता हुया एक ऐसा समागम है जहाँ देश विदेश से आए लोग अपनी आस्था को प्रकट करते हैं ,और एक दूसरे के साथ मिलजुलकर रहना सीखते हैं। यह “वसुधैव कुटुंबकाम का संदेश देता है“। Whole world is one family. सतीश त्रिपाठी Satish Tripathi sctri48